आज दिनांक 13-11-2022 को बरेली विकास प्राधिकरण की रामगंगा नगर आवासीय योजना के सेक्टर-3 की अर्जित भूमि पर स्थित अवैध कब्जों को हटाते हुए भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया, जिसकी कीमत लगभग रूपये-75.00 करोड़ है।
इस प्रकार प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2007-08 में लगभग 85 आवंटित प्लाटों की भूमि को 15 वर्ष बाद कब्जा मुक्त कराया जा सका है तथा 02 वर्ष के अन्दर रामगंगा नगर आवासीय योजना में अर्जित भूमि पर अवैध रूप से अतिक्रमण कर किये गये कब्जों को हटाते हुए सम्पूर्ण भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया है।
बरेली विकास प्राधिकरण द्वारा रामगंगानगर आवासीय योजना की अर्जित भूमि पर लगातार कार्यवाही करते हुए अतिक्रमण हटाये जाने का कार्य किया जा रहा है। इस क्रम में आज दिनॉक 13.11.2022 में स्थानीय पुलिस बल एवं पी0ए0सी0 बल के सहयोग से योजना के सेक्टर-3 में प्राधिकरण की अर्जित भूमि पर किये गये अनाधिकृत कब्जों को ध्वस्त कर भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया है। इस कार्यवाही के दौरान प्राधिकरण की लगभग 20000 वर्गमी0 भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया । इस भूमि का बाजारी मूल्य लगभग रू0-75.00 करोड़ है। प्राधिकरण द्वारा इस भूमि को विधिवत अर्जित कर मुआवजा विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी, बरेली को उपलब्ध भी कराया जा चुका है और इसका कब्जा प्राधिकरण द्वारा लिया जा चुका था, किन्तु अनाधिकृत रूप से भू-स्वामियों द्वारा इस अर्जित भूमि का विक्रय कर पक्के भवन बना लिये गये थे। प्राधिकरण द्वारा इन भवनों को ध्वस्त करते हुए भूमि रिक्त करायी गयी। कब्जा हटाये जाने की कार्यवाही के दौरान श्री योगेन्द्र कुमार, सचिव, श्री गौतम सिंह, विशेष कार्याधिकारी, श्री आशु मित्तल, अधिशासी अभियन्ता, सहायक अभियन्ता, श्री प्रमोद कुमार गुप्ता, श्री आर0के0 चौधरी, श्री अनिल कुमार, श्री कवलेश्वर प्रसाद, श्री रजत कुमार एवं समस्त अवर अभियन्तागण एवॅ प्राधिकरण का स्टाफ तथा थानाध्यक्ष, थाना बिथरी चैनपुर एवं पी0ए0सी0 बल उपस्थित रहे।
बरेली विकास प्राधिकरण की अर्जित भूमि पर काबिज अवैध कब्जेदारों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए पूर्व में इन अवैध कब्जेदारों को रियायती दरों पर प्राधिकरण के प्लाट प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया गया था। इन अवैध कब्जेदारों को बिना डाउन पेमेन्ट के 10 वर्षो में भुगतान करने की सुविधा भी प्रदान की गयी थी, जो लोग प्लाट लेने के इच्छुक नहीं थे, उन्हें बार-बार अनुरोध किया गया था कि वह अपनी वैकल्पिक व्यवस्था कर लंे, ताकि अवैध कब्जों को हटवाकर आवंटियों को उन्हें आवटित भूखण्डों का कब्जा दिया जा सके। अवैध कब्जों के कारण पूर्ण भुगतान के बाद भी बडे पैमाने पर आवंटियों को कब्जा नहीं दिया जा पा रहा था।